Sunday, January 27, 2013

चिड़ा – चिड़िया और भीगी बिल्ली


पुराने ज़माने में एक चिड़िया अपने आलसी पति चिड़ा के साथ एक गरीब मजदूर के छप्पर में घोंसला बना के  रहती थी। चिड़ा इतना आलसी था की चिड़िया उस से तंग आ गयी थी। वह दिन भर घर पे पड़ा रहता और चिड़िया उसे कुछ काम करने के लिए कहती रहती। एक दिन चिडा अपनी पत्नी के तानों से परेशान होकर उसके साथ चुग्गा ढूँढने चला गया। चिड़िया ने तो इधर उधर उड़ उड़ के काफी सरे चावल इकट्ठे कर लिए, लेकिन चिडा को कुछ मिल ही नहीं रहा था। अचानक उसके खुराफाती दिमाग में मजदूर के घर से कुछ चुराने की गलत सोच आई। वह चुपके से अपने घोंसले पे वापस आ गया और मजदूर के घर से काफी सारी दाल चुरा के अपने घोंसले में रख के सो गया। 

दोपहर में जब चिड़िया चावल ले के घर आई तो उसे काफी गुस्सा आ रहा था । चिड़ा उसे बिना बताये अपने घोंसले पे आकर के सो गया था। चिड़िया ने सोच रखा था की आज वह अपने आलसी पति को खाना नहीं खिलने वाली। लेकिन जैसे ही चिड़िया अपने घोंसले में अन्दर घुसी, उसकी नजर कोने में राखी दाल पे पड़ी। उसका गुस्सा कुछ कम हुआ और उसने बड़े ही प्यार से चिडा को नींद से जगाया। चिडा ने अकड़ के कहा, कभी तो आराम से सो लेने दिया करो, देखो तो सही कितनी मेहनत से इतनी सारी दाल ले के आया हूँ और तुम हो की सुबह से जाने कहाँ गायब हो और इतने से चावल ले कर के आई हो।  चिड़िया बहुत थकी हुयी थी और खाना बनाने की हिम्मत नहीं थी, लेकिन वह चावलों से खीर बनाना चाहती थी इसलिए वह अपनी थकान भूल गयी। चिड़ा ने कहा, खीर कभी और बना लेना, अभी दाल-चावल बनाओ, देखो मैंने कितने दिनों से पेट भरके अच्छा  खाना नहीं खाया है। 

चिडा की जिद के आगे, चिड़िया ने अपना मन मार कर, दाल - चावल बना दिये। वह उन्हें रख कर पास के ही कुए से पानी भरने चली गयी। वह खाना खाने से पहले नहाना चाहती थी। चिड़िया को पानी भर के लाने में कुछ देर हो गयी, इतनी देर तक चिडा को सब्र नहीं हुआ, वह जग कर, बिना मुंह धोये ही खाने के लिए बैठ गया। दाल - चावल इतने स्वादिस्ट बने थे की वह खाता ही गया और खाते - खाते सारा खाना ख़त्म कर दिया। वह इतना सारा खाना खा चुका था की बड़ी मुश्किल से अपने बिस्तर तक पहुंचा, और लेटते ही फिर से सो गया। उसने बर्तनों को फर्श पे ही पड़ा छोड़ दिया। कुछ देर बाद चिड़िया कुए से पानी ले कर आ गयी। वह खुद नहा कर चिडा को नहाने के लिए जगाने गयी, लेकिन वह तो गहरी नींद में था। उसने बड़ी मुश्किल से उसे जगाया और स्वंय रसोई में खाना लेने चली गयी। वहां का नजारा देख कर वह दंग रह गयी। खाने के बर्तन फर्श पे पड़े हुए थे और उनमें कुछ भी नहीं बचा था । वह तमतमाती हुयी चिडा के पास आई और चिल्लाते हुए पुछा - खाना कहाँ गया? 

चिडे ने मासूम सा चेहरा बना के पूछा - क्या हुआ? मैं तो गहरी नींद में था, मुझे क्या पता, तुम ही घर का दरवाज़ा खुला छोड़ गयी होंगी और बिल्ली आकर सारा खाना खा गयी होगी। लेकिन चिड़िया तो चिड़े के जवाब पे विश्वास नहीं हुआ, वह उसे खरी - खोटी सुनाती रही। चिडे ने गुस्से में आकर कहाँ - तुम मुझ पे झूंठे आरोप लगा रही हो, मैं ऐसी जिंदगी जीने के बजाय तो मर ही जाऊं तो अच्छा रहेगा! चिड़िया भी बहुत गुस्से में थी - उसने भी ताव में आकर कह दिया - जाओ, मेरी बला से तो जाकर कुए में कूद जाओ। चिडा और भी ज्यादा गुस्से में आ गया, वह आज चिड़िया को दिखा देना ही चाहता था की वह भी अपनी बात पे अडिग है और कुए की तरफ चल दिया।  

वह कुए पे चढ़ तो गया लेकिन उसमें कूदने की उसकी हिम्मत नहीं थी। वह पीछे मुड़ के देखने लगा की चिड़िया उसे मरने से रोकने के लिए आ रही है या नहीं। लेकिन चिड़िया को पता था की चिडा कहीं कूदने वाला नहीं है, कुछ देर बाद खुद ही वापस आ जायेगा, ऐसा सोच कर रसोई में जाकर फिर से खाना बनाने लगी। उधर, चिडा कुए के किनारे पे खड़ा होकर सोचता रहा की वह कुए में कूदे या नहीं? अगर वह घर वापस चला गया तो उसकी पत्नी उसे फिर से ताने देगी, वह कुछ दिन अपने किसी रिश्तेदार के यहाँ चला जायेगा और वहां भी मेहमानबाजी का लुफ्त उठा कर वापस घर आ जायेगा, तब तक चिड़िया का भी गुस्सा ठंडा हो जायेगा। वह ऐसा सोच ही रहा था की तभी हवा का झोंका आया और वह अपने आप को सम्हाल नहीं पाया, और कुए में गिर गया। 

उसकी "बचाओ - बचाओ" की चीख -  सुन कर आस पड़ोस के चिडे - चिडियाएँ वहां पे इकट्ठे हो गए। उनमें से किसी ने जाकर चिड़िया को बताया की उसका चिडा सचमुच ही कुए में कूद गया है। चिड़िया रोती हुयी - तुरंत ही उड़ के कुए पे पहुंची। वह वहां पे खड़े सभी चिड़ियों से गुहार लगाने लगी की अगर किसी को तैरना आता हो तो वह उसके चिडे को बचाए, लेकिन कोई भी खतरा मोल लेकर यह काम करने को तैयार नहीं था। इतनी सारी चिड़ियों को इकठ्ठा देख के बिल्ली वहां पे धमकी, उसके लिए शिकार करने का इतना अच्छा मौंका कहाँ मिलता। बिल्ली को आते देख वहां से बाकी सारी चिड़ियाये उड़ गयीसिर्फ चिड़िया ही खड़ी रही। उस पे बिल्ली ने जैसे ही झपट्टा मारा वह उड़ कर कुए के दूसरे किनारे पे जा बैठी और बिल्ली से बोली एक चिडा कुए में भी है वह उसे निकाल के खा ले वह पानी में भीगा होने से उड़ भी नहीं सकता। यह बात बिल्ली के दिमाग में भी जम  गयी। वह मेहनत करके वहां बैठी चिडिया को पकड़ के खाने के बजाय भीगे हुए चिडा को खाने के लिए कुए में उतर गयी और जाते ही चिडा को दबोच लिया। वह उसे खाने वाली ही थी तभी ऊपर से चिड़िया ने कहा, इसे भीगा हुआ खाने में क्या मजा आएगा, ऊपर आकर - धूप में बैठ कर आराम से खाना। बिल्ली को भी पानी में भीगने से ठण्ड लग रही थी - उसे धूप मैं बैठ के लंच करने का आईडिया अच्छा लगा। वह चिडे को एक पंजे में दबोच के बड़ी मुश्किल से कुए में लगी रस्सी के सहारे ऊपर निकल आई। उसने बाहर आते ही चिडा को खाने की कोशिश की - इतने में ही चिड़िया ने फिर से कहा, इसे गीला खाने में क्या फायदा - आराम से सुखा करके खाना। बिल्ली बहुत भूखी और थकी हुयी थी लेकिन वह चिड़िया की बातों में गयी। उसने चिडे को अपने पंजे से निकाल के सुखाने रख दिया और खुद फुरफुरी लेकर अपने शरीर से पानी झडाने लगी। वह जम्हाई लेकर अपनी थकान दूर कर रही थी तब तक चिड़ा भी थोडा बहुत सूख गया। चिड़िया ने उसकी तरफ उड़ चलने का इशारा किया। वह भी वहां पे आराम से वेवकूफों की तरह अपने आप को सुखाने लग रहा था। चिड़िया ने खुद ही उसके पास उड़ के जाकर के उसे उड़ चलने के लिए धक्का मारा। इस तरह चिड़िया अपने चिड़ा को वहां से बचा करके उड़ा ले गयी और भीगी बिल्ली देखती ही रह गयी।

मम्मी ने सुनाई यह कहानी :)